सदन में छलका शेरपुर के लिए भरत सिंह का दर्द

यदि नहीं बचा शेरपुर का अस्तित्व तो मिट जायेगा एक गौरवशाली इतिहास


गाजीपुर। भाजपा के बलिया सांसद भरत सिंह ने गुरुवार को लोकसभा की कार्रवाई के दौरान प्रश्नकाल के पहर में जनपद के कटान प्रभावित गांव शेरपुर—सेमरा का मुद्दा पुरजोर तरीके से उठाया। उन्होंने कटान के परिप्रेक्ष्य में शेरपुर—सेमरा गांव के लोगों के दर्द को सदन में उठाते हुए कहा कि शेरपुर एक ऐतिहासिक गांव है। अगर इसका अस्तित्व खत्म हो जाता है, तो भारत का एक गौरवशाली इतिहास मिट जायेगा। यह गांव प्रत्येक वर्ष कटान से प्रभावित होता है। पूर्व के कटान का दंश आज भी यहां के लोग झेल रहे हैं। बहुतेरे ऐसे लोग हैं, जो विस्थापितों की जिंदगी बीता रहे हैं। जब भी गंगा नदी का जलस्तर बढ़ता है, तो यहां के लोग सहम जाते हैं। खेत—खलिहान से लेकर काफी आशियाने तक गंगा में समाहित हो चुके हैं, लेकिन अब तक यहां के लोगों को कटान से बचाने को लेकर कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं की गई। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि ऐतिहासिक व शहीदों के गांव शेरपुर—सेमरा के अस्तित्व को कटान से बचाने के लिए ठोस कदम उठाया जाए। ऐसी कोई स्थायी व्यवस्था की जाए, ताकि लोगों को प्रत्येक वर्ष के कटान के दंश से मुक्ति मिल सके।
मुहम्मदाबाद तहसील क्षेत्र के शेरपुर—सेमरा गांव का इतिहास का गौरवशाली है। इतिहास के पन्नों में इस गांव का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। चाहे बात प्रबुद्धता की हो या फिर देश के लिए प्राण न्यौछावर करने की, हर क्षेत्र में यहां के लोग अग्रणी है। देश के स्वतंत्रता की लड़ाई में आठ अगस्त वर्ष 1942 को एक ही गांव के आठ लोगों ने डा. शिवपूजन राय के नेतृत्व में मुहम्मदाबाद तहसील पर तिरंगा फहराते हुए अपने प्राणों की आहूति दे दी थी। उस समय के अंग्रेजों की सरकार ने शेरपुर में काफी जुल्म ढाया था। इस ऐतिहासिकता को सजोये हुए यह गांव आज भी गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। शेरपुर ने अपनी वीरता के अलावा खेल के क्षेत्र में भी अपना इतिहास कायम किया है। जब भारतीय बालीबाल की चर्चा की जाए तो शेरपुर को अछूता नहीं रखा जा सकता है। बालीबाल के क्षेत्र में शेरपुर से कई ऐसे नामचीन सितारे निकले, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया।