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भुगलगुर्‍प पुलिस ने 12 घंटे में 125‑साल पुरानी दरगा मूर्ति बरामद, एक आरोपी गिरफ़्तार

भुगलगुर्‍प पुलिस ने 12 घंटे में 125‑साल पुरानी दरगा मूर्ति बरामद, एक आरोपी गिरफ़्तार
  • अक्तू॰ 12, 2025
  • सचिन साधुवानी
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जब अमित जयसवाल, पुलिस कमिश्नर of भुगलगुर्‍प पुलिस ने बताया कि 20 अक्टूबर 2024 को राजघाट मंदिर में चोरी हुई 125‑साल पुरानी दरगा मूर्ति केवल 12 घंटे में बरामद हो गई, तो जनता की राहत की साँस है। इस घटना में डॉ. विनय कुमार तिवारी, सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस ने भी कहा कि ऐसी धरोहरों की सुरक्षा में नजरें और तेज़ी से नज़र रखनी पड़ेगी। मंदिर की 3‑फीट ऊँचाई की यह मूर्ति, जो स्थानीय कुम्हारों की कलाकारी से बनी थी, दशकों से दुर्गा पूजा के झांकियों में प्रमुख रही है।

पृष्ठभूमि: पिछली मंदिर चोरी घटनाएँ

भुगलगुर्‍प में धार्मिक स्थल पर चोरी की लहर कुछ महीनों से चल रही थी। जुलाई 2024 में एसएम कॉलेज रोड मंदिर के पास स्थित एक छोटे मंदिर से 5‑किलोग्राम वजन वाला अस्‍ठधातु साँप चोरी हो गया था, जो सीधे पुलिस कैंप के सामने स्थित था। तब से स्थानीय लोगों में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ी थी। इस घटना ने पुलिस को संकेत दिया कि अपराधियों को भौगोलिक सीमा नहीं, बल्कि धरोहर की कीमत ही लक्ष्य बनती है।

चोरी की विवरण और तुरन्त कार्रवाई

राजघाट मंदिर में शाम 4 बजे के बाद दरगा मूर्ति अचानक गायब हो गई। राजेश कुमार सिंह, स्टेशन हाउस ऑफिसर ने तुरंत केस दर्ज किया और स्थानीय सूचना नेटवर्क को सक्रिय किया। पुलिस ने राजघाट मंदिर दरगा मूर्ति चोरीभुगलगुर्‍प, बिहार को केंद्रीय घटना के रूप में चिह्नित किया, जिससे क्षेत्रीय फोरेंसिक टीम को त्वरित कार्रवाई का आदेश मिला।

एफ़एसएल (बिहार स्टेट फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) के विशेषज्ञों ने मूर्ति में लगे मिट्टी‑लकड़ी मिश्रण की जाँच की, जिससे 125 साल की उम्र निश्चित हुई। साथ ही, मूर्ति पर मिलने वाले बारीक रेश्मे के निशान ने बतलाया कि चोरी करने वाले ने इसे छोटे‑छोटे टुकड़ों में तोड़ने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस ने इसे सफलतापूर्वक बचा लिया।

मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी और फ़ोरेंसिक जांच

मेंबरशिप‑ट्रैकिंग सिस्टम और मोबाइल लोकेशन डेटा के साथ मिलाकर, पुलिस ने जल्द ही एक स्थानीय निवासी को शंकित माना, जिनका नाम रिपोर्ट में दिया नहीं गया लेकिन स्थानीय स्रोतों ने उन्हें “राहुल कुमार” बताया। यह आरोपी फ़ोरेंसिक साक्ष्य, यानी चमड़े‑कागज पर हाथ के निशान और स्थलीय खनिजों के विश्लेषण से ठोस साबित हुआ। अगली सुबह, जब जांच अधिकारियों ने उन्हें उनके घर में गिरफ़्तार किया, तो उन्होंने पहले इनकार किया, परन्तु लम्बी पूछताछ के बाद स्वीकारोक्ति दे दी।

पुलिस ने बताया कि आरोपी ने मूर्ति को पड़ोसी जिले के एक प्राचीन वस्तु डीलर को बेचने की कोशिश की थी। डीलर ने शंका होने पर पुलिस को सूचित किया, जिससे मामले को आगे बढ़ाया गया। इस बीच, मूर्ति को सुरक्षित रूप से भुगलगुर्‍प पुलिस के गुप्त भंडारण में ले जाया गया, जहाँ से इसे आगे के फ़ोरेंसिक परीक्षण के बाद राजघाट मंदिर के पुजारी को सौंप दिया गया।

प्राधिकरणों की प्रतिक्रिया और भविष्य की सुरक्षा योजना

प्राधिकरणों की प्रतिक्रिया और भविष्य की सुरक्षा योजना

भुगलगुर्‍प में इस बड़े पकड़े की खबर सुनते ही मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित रमेश्वर प्रसाद, प्रधान पुजारी ने राहत की साँस ली और पुलिस को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, “हमारी अद्भुत धरोहर बस एक ही नहीं, बल्कि कई पीढ़ियों की यादें समेटे हुए है। इस घटना ने हमें सुरक्षा की जरूरत समझा दी।”

डॉ. विनय कुमार तिवारी ने प्रेस कांफ़्रेंस में कहा कि अब मंदिरों के पास विशेष निगरानी कैमरे, अलार्म सिस्टम और मोबाइल जियो‑टैगिंग का उपयोग किया जाएगा। साथ ही, स्थानीय समुदाय को जागरूकता कार्यक्रमों के तहत धर्मस्थलों की सुरक्षा में सक्रिय भागीदारी के लिए बुलाया जाएगा।

धार्मिक विरासत पर असर और विशेषज्ञों की राय

धर्मशास्त्र विशेषज्ञ डॉ. रीमा सिंह (पिछले 15 साल से धार्मिक कला के प्रोफेसर) का मानना है कि ऐसी चोरी-चकारी केवल आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पूंजी को घटाती है। उन्होंने कहा, “ऐसे 125‑साल पुराने आइटम केवल पूजा में ही नहीं, बल्कि स्थानीय शिल्प कला के विकास में भी महत्वपूर्ण हैं।”

फ़ोरेंसिक साइंस लैब के प्रमुख ने यह भी बताया कि मूर्ति की सामग्रियों में मौजूद अस्‍ठधातु मिश्र धातु के छोटे‑छोटे कणों को विश्लेषित कर भविष्य में इसी तरह के कार्यों को रोकने के लिए ब्लॉकचेन‑आधारित प्रमाणिकरण प्रणाली लागू की जा सकती है।

भविष्य की दिशा: सुरक्षा और सांस्कृतिक संरक्षण

भविष्य की दिशा: सुरक्षा और सांस्कृतिक संरक्षण

भुगलगुर्‍प में अब हर प्रमुख मंदिर के पास एक छोटा “सुरक्षा कमेटी” बनायी जाएगी, जिसमें स्थानीय निकाय, पुलिस और कलाकार मिलकर काम करेंगे। यह कदम शहर के धार्मिक पर्यटन को सुरक्षित रखने और भविष्य की पीढ़ियों को विरासत सौंपने में मदद करेगा। अंत में, जैसा कि पंडित रमेश्वर प्रसाद ने कहा, “धर्म और कला का संगम है, हमें उसे बचाने के लिए सभी को मिलकर कदम उठाने चाहिए।”

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इस चोरी से स्थानीय भक्तों पर क्या असर पड़ा?

भुगलगुर्‍प के भक्तों ने कहा कि मौसमी पूजा में धूमधाम से पहले मूर्ति की अनुपस्थिति ने उन्हें गहरा शोक दिलाया। हालांकि, पुलिस की तेज़ कार्रवाई से उनका विश्वास पुनः स्थापित हुआ और अगले दुर्गा पूजा में वे फिर से उत्साह के साथ मण्डली को देख पाएँगे।

भुगलगुर्‍प पुलिस ने इस केस में कौन‑कौन से तकनीकी उपाय अपनाए?

पुलिस ने मोबाइल लोकेशन ट्रैकिंग, CCTV फीड की लाइट‑ह्यूरी विश्लेषण, और फोरेंसिक लैब से रासायनिक आयु‑निर्धारण तकनीक का इस्तेमाल किया। इसके अलावा, डिजिटल साक्ष्य को सुरक्षित रखने के लिए क्लाउड‑आधारित इंटरेक्टिव डैशबोर्ड तैयार किया गया।

क्या भविष्य में मंदिरों में अतिरिक्त सुरक्षा स्थापित की जाएगी?

हां, सुपरिंटेंडेंट डॉ. विनय कुमार तिवारी ने कहा है कि हर प्रमुख मंदिर में उच्च‑रिज़ॉल्यूशन कैमरा, अलार्म सेंसर और GPS‑टैग किया गया एसेट‑ट्रैकिंग सिस्टम लगेगा। साथ ही, स्थानीय समुदाय को सुरक्षा में भागीदारी के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा।

इस चोरी की वजह से धार्मिक कलाकारी की सुरक्षा पर क्या नया नियम आ सकता है?

बिहार सरकार ने संकेत दिया है कि अब सभी प्राचीन धार्मिक वस्तुओं का पंजीकरण और ब्लॉकचेन‑आधारित प्रमाणपत्र अनिवार्य किया जाएगा। इससे भविष्य में किसी भी वस्तु की मूलस्थिति और मिलियन‑स्वामित्व को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा।

चोरी के बाद मूर्ति की वर्तमान स्थिति क्या है?

फ़ोरेंसिक परीक्षण के बाद मूर्ति को भुगलगुर्‍प पुलिस ने राजघाट मंदिर के प्रमुख पुजारी पंडित रमेश्वर प्रसाद को वापस सौंप दिया है। अब इसे मंदिर के मुख्य गलियारे में विशेष रक्षक केस्ट्रॉल के साथ स्थापित किया गया है।

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