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संजू सैमसन पर सुनील गावस्कर का दांव: एशिया कप 2025 में रिज़र्व नहीं, प्लेइंग XI में जगह

संजू सैमसन पर सुनील गावस्कर का दांव: एशिया कप 2025 में रिज़र्व नहीं, प्लेइंग XI में जगह
  • सित॰ 7, 2025
  • सचिन साधुवानी
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चयन की उलझन: सैमसन बनाम गिल

“कोर टीम में किसी को ले लिया है तो उसे रिज़र्व में नहीं छोड़ सकते।” सुनील गावस्कर का यह साफ संदेश एशिया कप 2025 से ठीक पहले चयन बहस को और तीखा कर गया है। टूर्नामेंट 9 सितंबर, मंगलवार से यूएई में शुरू होगा और भारत की प्लेइंग XI में सबसे बड़ा सवाल है—टॉप ऑर्डर में किसे प्राथमिकता मिलेगी?

गौतम गंभीर के हेड कोच बनने के बाद संजू सैमसन को टॉप पर लंबा रन मिला और उन्होंने मौके भुनाए भी। 14 टी20 अंतरराष्ट्रीय में 400 से ज्यादा रन—यही उनकी सबसे बड़ी दावेदारी है। सैमसन की बैकफुट स्ट्रोक-प्ले, स्पिन के खिलाफ ताकत और विकेटकीपिंग का बोनस उन्हें बहुआयामी विकल्प बनाता है।

दूसरी तरफ शुभमन गिल उपकप्तान बनकर लौटे हैं। टी20 अंतरराष्ट्रीय में उनके 21 मैचों में 578 रन, औसत 30.42 और स्ट्राइक रेट 139.27 का रिकॉर्ड बताता है कि ओपनिंग स्लॉट पर उनका केस पुख्ता है। आईपीएल में बतौर ओपनर उनकी स्थिरता और पावरप्ले की समझ टीम को भरोसा देती है। यही कारण है कि गिल के आने से संतुलन बनाना मुश्किल हो रहा है।

गावस्कर का तर्क सीधा है—सैमसन को ड्रॉप करना रणनीतिक गलती होगी। उनका सुझाव है कि अगर ओपनिंग में जगह तंग है तो सैमसन को नंबर 3 पर या फ्लोटिंग रोल में उतारें। फ्लोटिंग रोल मतलब—अगर शुरुआती विकेट जल्दी गिरें तो स्टेबिलिटी, और अगर शुरुआत तेज हो तो फिनिशर मोड। उनके मुताबिक यह “अच्छा सिरदर्द” है, क्योंकि दो सक्षम बल्लेबाज़ आपको अलग-अलग मैच परिदृश्यों में विकल्प देते हैं।

यह बहस सिर्फ नामों की नहीं, संदेश की भी है। “कोर टीम” में जगह का मतलब है—टीम प्रबंधन उस खिलाड़ी को टूर्नामेंट की रणनीति का केंद्र मानता है। ऐसे खिलाड़ी को बिठाने से ड्रेसिंग रूम में रोल क्लैरिटी धुंधली होती है। गंभीर की कोचिंग फिलॉसफी भी यही रही है—फॉर्म में जो है, उसे रोल के साथ बैक करो।

तो संयोजन कैसे निकले? एक रास्ता है—गिल पक्का ओपन करें और सैमसन नंबर 3 पर, ताकि पावरप्ले के बाद स्पिन के खिलाफ टेंपो बना रहे। दूसरा, सैमसन को “इम्पैक्ट बैटर” की तरह फ्लोट कराएं—ओवर और मैच-अप देखकर भेजें। तीसरा, विकेटकीपर की जिम्मेदारी सैमसन को देकर बल्लेबाज़ी में एक स्लॉट और खुला रखें। इससे बेंच की लचीलापन भी बढ़ेगा।

यूएई की परिस्थितियां भी इस फैसले को प्रभावित करेंगी। दुबई और आबूधाबी की पिचें आम तौर पर धीमी पड़ती हैं, दूसरी पारी में ओस गेम बदल देती है। ऐसी पिचों पर रेंज-हिटिंग के साथ रोटेशन ऑफ स्ट्राइक महत्वपूर्ण हो जाता है। सैमसन की स्पिन पर समझ और हावभाव उपयोगी है, वहीं गिल पावरप्ले में गैप्स ढूंढते हुए इनिंग्स को लंबा खींचने में सहज हैं। बड़े बॉउंड्रीज़ पर स्मार्ट रनिंग और स्टेप-आउट शॉट्स टॉप ऑर्डर का चयन तय कर सकते हैं।

गिल की उपकप्तानी पर भी गावस्कर ने मुहर लगाई है। इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज़ में 754 रन और आईपीएल में गुजरात टाइटंस की कप्तानी—दोनों ने उनकी नेतृत्व क्षमता को मजबूत केस दिया है। टी20 में उनका व्यवस्थित एप्रोच, ड्रेसिंग रूम में शांत उपस्थिति और फेज़-मैनेजमेंट उन्हें लीडरशिप मॉड्यूल में फिट बनाता है।

तथ्य संक्षेप में—

  • सैमसन: गंभीर के तहत 14 टी20आई में 400+ रन; बहुमुखी रोल—ओपन, नंबर 3, विकेटकीपर।
  • गिल: 21 टी20आई में 578 रन, औसत 30.42, स्ट्राइक रेट 139.27; उपकप्तान और स्थिर ओपनर।

बड़ा मुद्दा यह नहीं कि कौन बेहतर है, बल्कि यह कि किस स्थिति में कौन ज्यादा असरदार है। अगर पिच में स्किड है और नई गेंद तेज आ रही है तो गिल का क्लासिकल ओपनिंग टेम्पलेट टीम को प्लेटफॉर्म देता है। अगर पिच धीमी है और पावर हिटिंग के साथ रिपर्टॉयर की जरूरत है तो सैमसन का आक्रामक गियर और स्पिन के खिलाफ रेंज शॉट्स स्कोरिंग रेट बनाए रखते हैं।

टीम-बिल्डिंग के नज़रिये से देखें तो यह बहस भारत की बैटिंग डेप्थ का संकेत भी है। पिछले 12-18 महीनों में व्हाइट-बॉल सेटअप में भूमिकाएं ज्यादा स्पष्ट हुई हैं—पावरप्ले में इंटेंट, मिडल ओवर्स में स्पिन-नेविगेशन, और डेथ में फिनिशिंग। सैमसन और गिल, दोनों इन तीनों फेज़ में अलग-अलग तरह से वैल्यू जोड़ते हैं।

टीम संयोजन, भूमिकाएँ और यूएई की पिचें

टीम संयोजन, भूमिकाएँ और यूएई की पिचें

यूएई में डे-नाइट मैचों में टॉस का रोल अक्सर बड़ा होता है। ड्यू फैक्टर के कारण दूसरी पारी में गेंद गीली होने पर स्पिन पकड़ ढीली पड़ती है। ऐसे में टीम ऐसे बल्लेबाज़ चाहती है जो लक्ष्य का पीछा करते हुए रिस्क का हिसाब लगा सकें। गिल की एंकर-टू-एक्सेलरेटर शिफ्ट और सैमसन की बर्स्ट स्कोरिंग—यह कॉम्बो चेज़ में असरदार हो सकता है।

एक और पहलू—फील्डिंग और कीपिंग। सैमसन की सुरक्षित ग्लव्स और आउटफील्ड एथलेटिसिज़्म टीम बैलेंस को बेहतर करते हैं। सीमित ओवरों में अतिरिक्त 10-12 रन बचाना अक्सर उतना ही महत्वपूर्ण होता है जितना 25-30 रन जोड़ना। अगर टीम प्रबंधन एक अतिरिक्त ऑलराउंडर खिलाना चाहता है, तो कीपिंग के साथ सैमसन का शामिल होना इलेवन में जगह बनाने की कुंजी बन सकता है।

तो कलह कैसी दिखती है? ओपनिंग स्लॉट पर गिल बनाम किसी दूसरे दावेदार की जंग अलग चलेगी, पर सैमसन को ड्रॉप करने की कहानी फिट नहीं बैठती—कम से कम गावस्कर के तर्क के हिसाब से। बेहतर रास्ता यही लगता है कि दोनों साथ खेलें और रोल-आधारित उपयोग हो। इससे बैटिंग ऑर्डर सिर्फ नामों की सूची नहीं रहता, बल्कि मैच-अप आधारित प्लान बन जाता है—जो आधुनिक टी20 की सच्चाई है।

अब निगाहें टीम मैनेजमेंट की आखिरी कॉल पर हैं। क्या सैमसन नंबर 3 की जिम्मेदारी उठाएंगे? क्या गिल पावरप्ले की कमान के साथ उपकप्तान के तौर पर टोन सेट करेंगे? एशिया कप की पहली गेंद से पहले यही सवाल भारत के कैंप में सबसे ज्यादा चर्चा में हैं—और फिलहाल जवाब वही है जो गावस्कर ने कहा, कोर में हो तो रिज़र्व में नहीं।

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