अगर आप क्रिकेट के शौकीन हैं तो सुनील गावस्कर का नाम सुनते ही दिमाग में बल्लेबाज़ी का सफ़र आ जाता है। 1980‑90 के दशक में उन्होंने जो रॉकेट गति से रन बनाये, वो आज भी कई युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा हैं। इस लेख में हम उनके करियर के हाईलाइट्स, खास रिकॉर्ड्स और उनके खेलने के स्टाइल पर एक नज़र डालेंगे।
सुनील ने 1978 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखा। शुरुआती मैचों में उनका शॉट‑सेलेक्शन थोड़ा अनियमित लगा, पर जल्दी ही उन्होंने अपनी जगह बना ली। 1983 में भारत ने विश्व कप जीता, लेकिन गुजरात के सुनील ने उस टूर्नामेंट में दिखाए गए निरंतर प्रदर्शन से अपनी वैल्यू साबित की। उनका पहला टेस्ट शतक 1982 में इंग्लैंड के लंदन में आओरिंग के खिलाफ आया, जो आज भी टेस्ट इतिहास में सबसे तेज़ शतक में गिना जाता है।
गावस्कर के नाम कई रिकॉर्ड्स जुड़े हैं – 10,000 से अधिक टेस्ट रन, 35 टेस्ट शतकों, और लगातार 10 फॉर्मेट में 50‑50 के बीच की पारी। सबसे यादगार इनिंग्स में 1998 में शारजाह में 309 का टेस्ट शतक, और 1992 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 125* शामिल हैं। इन पारी में उन्होंने न केवल रन बनाये, बल्कि टीम के मनोबल को भी नई ऊँचाई दी।
उनकी एक और बड़ी बात यह है कि उन्होंने बिना कोई बड़ा शॉट मसल्स वाले गिनती‑गिनती के हिट्स लगाए। उनका ‘क्लासिक ड्राइव’ और ‘कट शॉट’ हमेशा सटीक रहे। चाहे पिच धीमी हो या तेज़, सुनील ने अपनी टेक्नीक से हर बॉल को संभाला। यही कारण है कि कई कोच उन्हें ‘टेक्निकल मास्टर’ नाम से भी बुलाते हैं।
व्यक्तिगत रूप से सबसे प्रभावी बात यह है कि सुनील ने हमेशा दबाव में अच्छा खेला। 1990 के शुरुआती सालों में जब भारत को चार बड़ी श्रृंखलाओं में हार मिली थी, तो उनका शतकों का लगातार आना टीम को नई आशा देता रहा। इस मानसिक ताक़त को अक्सर ‘गावस्कर का जज्बा’ कहा जाता है।
क्रिकेट के अलावा, सुनील ने कई सामाजिक प्रोजेक्ट्स में हाथ बंटाया है। उन्होंने अपना नाम कई शिक्षा और खेल सुविधाओं के विकास के लिए उपयोग किया है, जिससे आने वाली पीढ़ी को बेहतर प्लेटफॉर्म मिल सके। यह उनके करियर को और भी खास बनाता है।अगर आप अपने बैट के साथ फॉर्मूला सीखना चाहते हैं, तो सुनील के खेलने के कुछ बुनियादी टिप्स याद रखें: हमेशा बॉल की लाइन देखें, बाउंस को समझें, और शॉट को अभ्यास से परिपूर्ण बनाएं। इन बातों को अपनाकर आप भी अपने खेल में एक छोटा सा ‘गावस्कर असर’ पैदा कर सकते हैं।
आख़िर में, सुनील गावस्कर सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं, बल्कि एक आइकन हैं। उनका सफ़र बताता है कि मेहनत, टेक्नीक और सही मानसिकता से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। चाहे आप क्रिकेट के शौकीन हों या नहीं, उनका करियर पढ़ कर आप एक नई प्रेरणा ले सकते हैं।
सुनील गावस्कर ने कहा कि अगर संजू सैमसन को कोर टीम में लिया है तो उन्हें रिज़र्व में नहीं छोड़ा जा सकता। एशिया कप 2025 (यूएई) से पहले चयन की सबसे बड़ी बहस सैमसन बनाम शुभमन गिल पर है। सैमसन ने गौतम गंभीर के तहत 14 T20I में 400+ रन बनाए, जबकि गिल उपकप्तान बनकर लौटे हैं। गावस्कर ने सैमसन को नंबर 3 या फ्लोटिंग रोल देने की सलाह दी।