नहीं बनी डान त्रिभुवन की बात, मनीष चलेंगे हाथी की चाल

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गाजीपुर। दरअसल बात की जा रही है जंगीपुर विधानसभा क्षेत्र की। एक ओर सपा की ओर से जंगीपुर विधानसभा क्षेत्र को अपना मजबूत गढ़ माना जाता है। सपा को इस क्षेत्र को अपना मजबूत गढ़ मानने के पीछे ठोस आधार भी है, क्योंकि जातीय समीकरण के आधार पर इस विधानसभा क्षेत्र में यदुवंशियों की संख्या काफी ठीक—ठाक है। वहीं राजपूत बिरादरी भी इस क्षेत्र को अपना गढ़ मानती है। भाजपा ने दो बार से इस विधानसभा क्षेत्र में कमल खिलाने की जिम्मेदारी क्षत्रपों को ही सौंपी थी, लेकिन वहां कमल नहीं खिल सका। बसपा इससे पूर्व इं. मनीष पांडेय को आजमा चुकी है। हालांकि मनीष पांडेय अपनी पार्टी को जीत दिलाने में नाकाम साबित हुए। इसके बावजूद उनका प्रदर्शन बेहतर रहा। जंगीपुर उपचुनाव से पूर्व बसपा की ओर से जंगीपुर विधानसभा क्षेत्र का प्रभारी ओमप्रकाश गुप्त को नामित किया गया था। यह और बात है कि बाद में उन्होंने भगवा खेमे का दामन थाम लिया। ओमप्रकाश गुप्त के भाजपा में चले जाने के बाद बसपा हाईकमान की ओर से एक मजबूत दावेदार की तलाश शुरू कर दी गई थी। इसी बीच माफिया डान त्रिभुवन सिंह की भी बात बसपा हाईकमान तक पहुंची, लेकिन जेल में बंद होने के कारण बसपा उन्हें टिकट देने को तैयार नहीं हुई। उनके परिवार के किसी दूसरे सदस्य को आगामी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाने के लिए बसपा सहमत थी, लेकिन माफिया खुद हाथी की सवारी करना चाहते हैं। पार्टी के सूत्रों से पता चला है कि त्रिभुवन सिंह के पुत्र शक्ति भुवन सिंह बसपा सुप्रीमो मायावती से भी मिल चुके हैं। इन सबके इतर फिलहाल बसपा की ओर से पूर्व प्रत्याशी इं. मनीष पांडेय को एक बार फिर से आगामी विधानसभा चुनाव के लिए मौका देने का मन बना लिया गया है। वहीं बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष विनोद बागड़ी ने बताया कि रविवार को राज्यसभा सांसद मुनकाद अली नगर के बंशीबाजार स्थित नंद रेजीडेंसी में प्रेस वार्ता के जरिये औपचारिक तौर पर जंगीपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए बसपा से इं. मनीष पांडेय की उम्मीदवारी पर मुहर लगायेंगे। हालांकि राजनीतिक हलके में यह भी कयास लगाये जा रहे हैं कि भविष्य में जंगीपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए बसपा से किसी अन्य प्रत्याशी का नाम भी सामने आ सकता है।