नहीं रहे बिरहा के पद्मश्री हीरा, नहीं गाया कभी किसी का चालीसा

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वाराणसी।    पूर्वांचल, बिहार  सहित पुरे देश में अगर बिरहा की बादशाहत दसकों तक किसी के नाम देखी गई तो वह नाम था हीरा बुल्लू।   ्अपनी लोकगायकी से लाखों के हृदय में बसने वाले हीरा लाल यादव ने रविवार को दुनिया को अलविदा कह दिया है। वह करीब 83 वर्ष के थे। कई दिनों से वह अस्वस्थ चल रहे थे और वाराणसी के भोजूबीर स्थित एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।

शनिवार देर देर रात हीरा लाल यादव को चौकाघाट स्थित आवास पर लाया गया और यहीं उन्होंने अंतिम सांस ली। हीरा लाल यादव के पुत्र सत्यनारायण यादव ने बताया कि दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन कर स्वास्थ्य की जानकारी ली थी। इसी साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर हीरा लाल यादव को पद्मश्री मिलने की घोषणा की गई थी।

16 मार्च को राष्ट्रपति भवन में महामहिम रामनाथ कोविंद ने पद्म अलंकार प्रदान किया। अस्वस्थ्य होने के बाद भी वह राष्ट्रपति भवन पहुंचे थे। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने भी हीरा लाल यादव से आशीर्वाद लिया था। 70 वर्ष में पहली बार बिरहा को पद्म श्री सम्मान मिला था। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में भी इसका उल्लेख भी किया था।